जब से तुम नहीं हो
हर मौसम
मुझसे रूठा है।
हर शाम
जैसे सूना तारा टूटा है।
ये बादल
तेरी बातें करते हैं,
हर कोना
तेरी आहट भरते हैं।
रातों में
नींदें नहीं आती,
तकिया
तेरे नाम से भर जाता है।
हर बूंद
तेरा चेहरा बन जाती है,
हर साया
तेरी यादों को दोहराता है।
छत पे
चाँद भी अब नहीं आता,
तारों में
तेरा अक्स नज़र आता है।
मैं बातों में
तेरा नाम छुपाता हूँ,
और ख़ुद से
हर रोज़ हार जाता हूँ।
तू पास होके भी
दूर लगती है,
तेरी खामोशी
आजकल बहुत कुछ कहती है।
ये गलियाँ
अब साथ नहीं देतीं,
हर मोड़ पे
तेरी यादें खड़ी मिलती हैं।
मैं कैसे
भूल जाऊँ तुझको,
हर साँस में
तू बसी मिलती है।
तू पहली थी
और शायद आख़िरी भी,
इस दिल में
तेरी ही कहानी चलती है।
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