यह सिर्फ़ कविता नहीं है — ये वो साँसें हैं, जो तुम्हारे बिना अधूरी रह गईं।
(एक टूटी मोहब्बत की साँसों में बसी दास्तान)
जब से तुम गई हो,
सब कुछ थम-सा गया है।
जैसे वक़्त भी
तेरे क़दमों में रुक गया है।
आसमान अब
नीला नहीं दिखता,
चाँद भी
तेरी याद में बुझ-सा लगता।
धूप
अब छूती नहीं मुझको,
हवा
तेरे स्पर्श की भीख माँगती है।
बारिश
पहले सुकून देती थी,
अब हर बूँद
तेरी जुदाई का ज़हर लगती है।
खिड़की से झाँकती सुबह
अब उजाला नहीं लाती,
तेरे बिना हर रौशनी
एक अँधेरे को जगाती है।
तकिया
भीग जाता है हर रात,
मेरे आँसू अब
तेरे नाम के बिना नहीं गिरते।
आईना
अब चेहरा नहीं दिखाता,
सिर्फ़ वो दर्द
जो तेरे जाने के बाद बचा था।
तेरे स्पर्श के बिना
ये जिस्म अधूरा है,
हर साँस
जैसे बिन तेरे गुज़रना गुनाह हो।
किताबें
तेरे पढ़े बिना सुनी हैं,
उनके पन्ने
अब तेरे नाम से सिहरते हैं।
छत पर जाता हूँ
तेरे नक्श ढूँढने,
पर आसमान
अब जवाब नहीं देता।
तू
अब किसी दुआ में नहीं आती,
क्योंकि तू
ख़ुद एक अधूरी दुआ बन चुकी है।
तेरे जाने के बाद
इश्क़ एक ज़ख़्म बन गया है,
जिसे हर याद
धीरे-धीरे कुरेदती रहती है।
तू थी —
मेरे दिल की पहली दस्तक,
और अब
हर चुप्पी की सबसे गहरी आवाज़।
अब कोई नहीं
जो मेरी रूह पढ़ सके,
तू थी वो लफ़्ज़
जो मेरी ख़ामोशी में भी बोलती थी।
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