Sunday, 4 May 2025

ये चाँद

 ये चाँद

तुम्हारे शहर में भी

यूं ही चमकता होगा

और तुम

उसपर नज़र जमाए 

देर तक

बैठी रहती होगी


तुम्हें देख कर

उसे भी 

तन्हाई सताती होगी

जब तुम

जाने-अंजाने में

उसे देखती होगी


वो चाँद 

जो हमारी बातें सुनकर

कभी 

मुस्कुराया होगा

आज 

उसी की चांदनी में

तुम्हारा अक्स उसे

नज़र आया होगा


तुम्हारी खामोशी में 

खोई हुई

हर धड़कन 

उस चाँद की तरह

मैली दुनिया को 

रौशन करती होगी

और तुम्हारे होठों पर 

टूटकर 

एक अधूरी सी मुस्कान खिलती होगी


हवा की 

हर सरसराहट में

तुम्हारे नाम की 

आहट होगी

चाँदनी की छाँव में 

बैठकर भी

तुम्हारी यादों का ही सहारा होगा


तुम जाओ 

कितनी दूर कहीं भी

उस उजाले की 

सिलवटों में

तुम्हारे 

प्यार की परछाई को मैंने 

चुपके से बाहों में

कस लिया होगा


और जब तुम 

रात में थके-हारे

नींद की तलाश में 

आँखें बंद करोगी

तब चाँद 

अपनी वही पुरानी चाल 

चल कर तुम्हें 

मेरी याद दिलाएगा


तुम्हारे शहर में भी 

यही चाँद

मेरी तन्हाई की दास्ताँ 

तुम्हें सुनाता होगा

और उसकी

हर चमक में 

हमारे कदमों के निशाँ

दर्द की 

एक नई कहानी बनाता होगा॥

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