Friday, 16 May 2025

तेरा फिक्र

                                                                   

तेरा फिक्र ही मेरी ज़िंदगी है,
तेरा ज़िक्र ही मेरी बंदगी है।

तू सूरज है मेरे सवेरों का,
मैं साया हूँ तेरे अंधेरों का।
तेरे बिना ये साँसें अधूरी हैं,
तू आसरा है मेरे बसेरों का।

तेरे मुस्कुराने से मैं मुस्कुराता हूँ 
तेरे आंसुओं से मैं भीग जाता हूँ 
तू दुख से गुज़रे तो दिल मेरा रोता है 
तेरी ख़ुशी में ये भी खुश होता है 

तेरे ख़्वाबों में मैं रंग भरूं हर रात,
तेरी खामोशी में सुनूं सौ बात।
तू जो थमें तो मैं भी रुक जाता हूँ 
तेरी थकान में राहत बन कर आता हूँ 

तेरा होना ही जैसे मेरा वजूद है,
तेरी होने से ज़िन्दगी मौज़ूद है 
तू पास ना हो, फिर भी हर पल साथ है,                                                                                             हमारी रूहों का बंधन ही कुछ खास है।

तेरे बिना हर मंज़र अधूरा है,
तेरे संग मेरा हर लम्हा नूरा है।
तू जैसे धागा मेरी परतों का,
हर सुर तेरे साज़ का पूरा है।

तेरे एहसास से मेरी पहचान है,
तेरी नज़रों में ही मेरी जान है।
तेरा मौन भी मुझसे बहुत कुछ कहता है,
वो तो मेरी ख़ामोशी में ही रहता है 

तेरा फिक्र ही मेरी ज़िंदगी है,
तेरा ज़िक्र ही मेरी बंदगी है।
तू रहे सलामत तो मैं मुकम्मल हूँ,
तू नहीं तो एक तन्हा सी गुमशुदगी है।

 


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