जब से तुम गई हो,
आसमान ने
गुनगुनाना छोड़ दिया है।
शामें
टूटे तारों-सी हर रोज़ गिरती हैं।
तेरे बिना
हर सुबह काँप उठती है,
धूप भी
अब मेरी ओर नहीं झुकती है।
हवा
अब तेरा नाम नहीं जानती है,
और बारिश
अब सुकून नहीं, जलन लाती है।
हर बूँद
मेरे ख़्वाबों को जलाती है,
सावन
अब दिल में आग लगाती है।
तकिया
वो सब कह देता है
जो मैं नहीं कह पाता,
तेरी ख़ामोशी में
रात दिन से लंबा नज़र आता है।
किताबें
अब ज़ख़्म बन चुकी हैं,
हर पन्ने पर
तेरी उँगलियों की छाप पड़ी है।
आईना
अब मुझसे नज़र नहीं मिलाता है,
ये चेहरा
तेरे बिन अब नहीं देखा जाता है
छत पर जाकर
तेरे क़दमों के निशान ढूँढता हूँ,
पर तारे भी
अब मुझसे मुँह मोड़ लेते हैं।
पहले दुआ माँगता था—
पर अब डरता हूँ,
क्योंकि तू
एक अधूरी दुआ बन चुकी है।
गलियाँ
अब भी तेरा नाम बुदबुदाती हैं,
पर हर मोड़
ख़ालीपन की गूँज लौटाती है।
जो भी कहूँ
तेरा नाम साथ आ जाता है,
हर साँस
तेरी यादों से उलझ जाता है।
तू थी
पहली लौ, पहली चाह,
पर अब है
एक ऐसी टीस,
जिस से बस उठती है आह।
अब मोहब्बत
एक झूठ लगती है,
क्योंकि
तेरे बिना
दिल में अब कुछ भी नहीं
बस एक हुक उठती है
तू मेरा मौसम थी,
मेरा गीत, मेरी तन्हाई थी ,
पर अब
तू ही वो टीस है
जो जुदाई के साथ आई थी
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