Monday, 9 June 2025

तेरा नाम इबादत हुआ - ग़ज़ल

 उनकी नज़रों में जब नूर देखा,

मैंने खुद को ही उनसे दूर देखा।


धड़कनों में बसी इक सदा बन गए,

जब उन्हें पास यूँ बे-हिसास देखा।


हर दुआ में तेरा ही चेहरा मिला,

जब इबादत में तेरा सुर देखा।


तेरी हँसी जैसे सवेरा कोई,

तेरी चुप्पी में भी शरर देखा।


मैंने माँगा न कुछ, फिर भी तू मिल गई 

तेरी रहमत को मेरा गुरूर देखा।


तेरे आने से मौसम भी कुछ और थे,

तेरे जाने पे दिल को अधूरा देखा।


हर ख्वाब तेरे रंग में भीगता गया,

तेरे जिक्र को हरसू मशहूर देखा।


अब तुझी में बसी है मेरी हर सदा,

तेरे होने को रब का ज़रूर देखा।




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