Friday 20 June 2014

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद

इस दिल पर हर दर्द बेअसर है

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद

लगती मय भी अब तो ज़हर है

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद

पड़ी चमन पर ख़िज़ाँ की नज़र है

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद

समंदर में भी कहाँ उठती अब लहर है

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद

ज़िन्दगी भी मेरी गई बस ठहर है

बस तेरे इक दिल तोड़ने के बाद 

Friday 6 June 2014

तुम और बस तुम .....

मयख़ाने के मय में

वो नशा कहाँ

जो नशा

तुम्हारी आँखों में है

चमन के फूलों में

वो ख़ुश्बू कहाँ

जो ख़ुश्बू

तुम्हारी साँसों में है

किसी तरन्नुम में

वो कशिश कहाँ

जो कशिश

तुम्हारी धड़कनों में है

आफताब की रौ में

वो अगन कहाँ

जो अगन

तुम्हारी नज़रों में है

बारिश की बूंदों में

वो तपन कहाँ

जो तपन

तुम्हारी बाहों में है

किसी और ख्वाब की

ऐसी ताबीर कहाँ

जो ताबीर

तुम्हारे ख़्वाबों में है

मेरे सज़दों में

वो असर कहाँ

जो असर

तुम्हारी दुआओं में है

बस असर

उन दुआओं का

इतना हो कि

इस ज़िन्दगी के उस पार भी

बस तुम हो तुम हो तुम हो