आह ....
तुम चले गए
सब कुछ
अधुरा छोड़ कर
घर के कितने सारे काम
रुके पड़े थे
कि तुम आकर उन्हें
निपटाओगे
पर मालूम है
अब तुम नहीं आओगे
हम सब को
तुम याद बहुत आओगे
कितनी संक्रामक थी
तुम्हारी हंसी
कितने रोतों को हंसा देती थी
तुम्हारी हंसी
तुम्हारे ठहाके
गूंजते रहेंगे हमारे कानों में
तुम्हारी बातें
तुम्हारी मुलाकातें
भटकती रहेंगी हमारे वीरानों में
तुम सा जिंदादिल इंसान
न कभी हुआ है
न कभी होगा
हम इंसानों में
हम ढूँढा करेंगे तुम्हें
हर महफ़िल हर वीरानों में
इक आह सी निकला करेगी
हमारी तानों में
जब भी हम गुज़रा करेंगे
उन सुनसानों में
जो छोड़ गए तुम
अपने पीछे
हमारे दिलों में
हमारे अरमानों में
तुम चले गए
सब कुछ
अधुरा छोड़ कर
घर के कितने सारे काम
रुके पड़े थे
कि तुम आकर उन्हें
निपटाओगे
पर मालूम है
अब तुम नहीं आओगे
हम सब को
तुम याद बहुत आओगे
कितनी संक्रामक थी
तुम्हारी हंसी
कितने रोतों को हंसा देती थी
तुम्हारी हंसी
तुम्हारे ठहाके
गूंजते रहेंगे हमारे कानों में
तुम्हारी बातें
तुम्हारी मुलाकातें
भटकती रहेंगी हमारे वीरानों में
तुम सा जिंदादिल इंसान
न कभी हुआ है
न कभी होगा
हम इंसानों में
हम ढूँढा करेंगे तुम्हें
हर महफ़िल हर वीरानों में
इक आह सी निकला करेगी
हमारी तानों में
जब भी हम गुज़रा करेंगे
उन सुनसानों में
जो छोड़ गए तुम
अपने पीछे
हमारे दिलों में
हमारे अरमानों में