तुम्हारी सोच का एक टुकड़ा
आज भी यहाँ पड़ा हुआ है
अब जब कि तुम नहीं हो
मैं क्यूँ तुम्हारी पसंद की चादर
बिछाती हूँ
क्यूँ गुलदस्ते में बस मोगरा ही
लगाती हूँ
तुम्हारा चहेता गाना सुनने को
दिल क्यूँ मचलता है
तुम्हारे कमीज़ का बटन टांकने से
मेरा दिल क्यूँ बहलता है
तुम्हारी किसी बात को याद कर
बरबस हंस देती हूँ
तुम्हारा दिल ना दुखे कहीं
सो कई गम खुद सह लेती हूँ
तुम नहीं हो फिर भी
क्यूँ मेरे दिल को
तुम्हारा इंतज़ार रहता है
तुम नहीं आओगे जानती हूँ
फिर भी दिल तुमसे मिलने को
क्यूँ बेकरार रहता है
शायद वो तुम्हारी सोच का टुकड़ा
जो आज भी यहाँ पड़ा है
वो तुम्हारी यादों को
धूमिल पड़ने नहीं देगा
चाह कर भी तुम्हारी किसी बात को
मुझे भूलने नहीं देगा
आज भी यहाँ पड़ा हुआ है
अब जब कि तुम नहीं हो
मैं क्यूँ तुम्हारी पसंद की चादर
बिछाती हूँ
क्यूँ गुलदस्ते में बस मोगरा ही
लगाती हूँ
तुम्हारा चहेता गाना सुनने को
दिल क्यूँ मचलता है
तुम्हारे कमीज़ का बटन टांकने से
मेरा दिल क्यूँ बहलता है
तुम्हारी किसी बात को याद कर
बरबस हंस देती हूँ
तुम्हारा दिल ना दुखे कहीं
सो कई गम खुद सह लेती हूँ
तुम नहीं हो फिर भी
क्यूँ मेरे दिल को
तुम्हारा इंतज़ार रहता है
तुम नहीं आओगे जानती हूँ
फिर भी दिल तुमसे मिलने को
क्यूँ बेकरार रहता है
शायद वो तुम्हारी सोच का टुकड़ा
जो आज भी यहाँ पड़ा है
वो तुम्हारी यादों को
धूमिल पड़ने नहीं देगा
चाह कर भी तुम्हारी किसी बात को
मुझे भूलने नहीं देगा
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