मेरा अंतस
आज भीग गया
तुम्हारे उस एक स्पर्श से
तुमने मुझे थामा था
जब अचानक मैं लड़खड़ाई थी
यूँ ही तुम्हारे साथ चलते चलते
सदियों से सुखा था
मेरा मन
तरस रहा था
तुम्हारे उस एक स्पर्श को
शायद मेरा तन
तुम कितने अनजाने से लगे
मेरे एहसासों से
कितने बेगाने से लगे
मेरे जज़बातों से
मेरी आँखों में क्यूँ नहीं दिखता
प्यार तुम्हें
जब मैं तुम्हें तकती हूँ अपलक
या फिर
तुम अनजाने बने रहते हो
अपने प्यार को
अपने मन में छुपाये
कि मैं आकर तुमसे कहूं
मुझे तुमसे प्यार है
क्या तुम
अपनी उस झिझक से
निकल नहीं सकते
और मुझसे कह नहीं सकते
हाँ मुझे तुमसे प्यार है
आज भीग गया
तुम्हारे उस एक स्पर्श से
तुमने मुझे थामा था
जब अचानक मैं लड़खड़ाई थी
यूँ ही तुम्हारे साथ चलते चलते
सदियों से सुखा था
मेरा मन
तरस रहा था
तुम्हारे उस एक स्पर्श को
शायद मेरा तन
तुम कितने अनजाने से लगे
मेरे एहसासों से
कितने बेगाने से लगे
मेरे जज़बातों से
मेरी आँखों में क्यूँ नहीं दिखता
प्यार तुम्हें
जब मैं तुम्हें तकती हूँ अपलक
या फिर
तुम अनजाने बने रहते हो
अपने प्यार को
अपने मन में छुपाये
कि मैं आकर तुमसे कहूं
मुझे तुमसे प्यार है
क्या तुम
अपनी उस झिझक से
निकल नहीं सकते
और मुझसे कह नहीं सकते
हाँ मुझे तुमसे प्यार है
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