Tuesday 11 September 2012

मेरा चाँद

रात के आसमां को

आसमां से उतार कर

कभी

अपनी ज़मीं पर ले आऊँ

फिर

ज़मीं पर

तारों की बारात सजाऊं

ओस से

चाँद को नहलाऊँ

फिर

चाँद को दुल्हन बनाऊं

और

चांदनी की ओढ़नी से

उसका चेहरा छुपाऊँ

फिर

उस चाँद को

अपने चाँद से मिलवाऊँ

















No comments:

Post a Comment