हर बार क्यों
गलत होता हूँ मैं
क्या उनका होना
मेरी खता है
अपनी चाहत से बढ़ कर
चाहा है उनको
उनकी हर ख़ुशी
मेरी रज़ा है
वो चाहें ना चाहें
मर्ज़ी उनकी मगर
मेरे प्यार को ना कहें
ये प्यार नहीं
मेरी अदा है
मेरा ईमान मेरा खुदा
जानता है
ये प्यार कोई खेल नहीं
मेरी वफ़ा है
उनसे यूँ दूर रहना
खलता है अक्सर
पर क्या करूँ
अब यही
मेरी सज़ा है
गलत होता हूँ मैं
क्या उनका होना
मेरी खता है
अपनी चाहत से बढ़ कर
चाहा है उनको
उनकी हर ख़ुशी
मेरी रज़ा है
वो चाहें ना चाहें
मर्ज़ी उनकी मगर
मेरे प्यार को ना कहें
ये प्यार नहीं
मेरी अदा है
मेरा ईमान मेरा खुदा
जानता है
ये प्यार कोई खेल नहीं
मेरी वफ़ा है
उनसे यूँ दूर रहना
खलता है अक्सर
पर क्या करूँ
अब यही
मेरी सज़ा है
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