अनन्त की ओर
चला हूँ मैं
पहली सांस से
शुरू हुआ यह सफ़र
आख़िरी सांस पर
शायद अनन्त का द्वार मिले
अग्रसर हूँ मैं बस
हर पल हर घड़ी
उसी अनन्त की ओर
अनन्त के इस सफ़र में
हर मोड़ पर
जाने कितने लोग मिले
जाने कितने बिछड़े
जो मिले
वो अपने भी थे
कुछ सपने भी थे
जो बिछड़े
वो आंसुओं में बह गए
कुछ यादों में रह गये
हसरतों का भी दौर चला
उम्मीदों का भी रहा सिलसिला
कुछ हसरतें रहीं अधूरी
उम्मीदें भी कहाँ हुई पूरी
हर पल हर घड़ी
अग्रसर हूँ मैं
अनन्त के इस सफ़र में
कल से बेख़ौफ़ बेख़बर
अच्छा ही रहा
अब तक का सफ़र
कुछ खुशियाँ मिलीं
कुछ ग़म मिले
आंसुओं से भी हम मिले
ना उड़ने का गुमां रहा
ना गिरने का मलाल
उड़े तो अपनी ज़मीं थाम कर
गिरे तो हौसले नहीं टूटे
बस उठ कर चल पड़े
ठोकरों से सम्हल कर
होनी से बेख़ौफ़ बेख़बर
मालूम नहीं
कब पहुँचना होगा
उस अनन्त के द्वार पर
विधाता को हो शायद
इसकी खबर
थाम कर आशा की डोर
मैं बस चलता ही जा रहा हूँ
हर पल हर घड़ी
अनन्त की ओर
अनन्त की ओर
चला हूँ मैं
पहली सांस से
शुरू हुआ यह सफ़र
आख़िरी सांस पर
शायद अनन्त का द्वार मिले
अग्रसर हूँ मैं बस
हर पल हर घड़ी
अनन्त के इस सफ़र में
हर मोड़ पर
जाने कितने लोग मिले
जाने कितने बिछड़े
जो मिले
वो अपने भी थे
कुछ सपने भी थे
जो बिछड़े
वो आंसुओं में बह गए
कुछ यादों में रह गये
हसरतों का भी दौर चला
उम्मीदों का भी रहा सिलसिला
कुछ हसरतें रहीं अधूरी
उम्मीदें भी कहाँ हुई पूरी
हर पल हर घड़ी
अग्रसर हूँ मैं
अनन्त के इस सफ़र में
कल से बेख़ौफ़ बेख़बर
अच्छा ही रहा
अब तक का सफ़र
कुछ खुशियाँ मिलीं
कुछ ग़म मिले
आंसुओं से भी हम मिले
ना उड़ने का गुमां रहा
ना गिरने का मलाल
उड़े तो अपनी ज़मीं थाम कर
गिरे तो हौसले नहीं टूटे
बस उठ कर चल पड़े
ठोकरों से सम्हल कर
होनी से बेख़ौफ़ बेख़बर
मालूम नहीं
कब पहुँचना होगा
उस अनन्त के द्वार पर
विधाता को हो शायद
इसकी खबर
थाम कर आशा की डोर
मैं बस चलता ही जा रहा हूँ
हर पल हर घड़ी
अनन्त की ओर
अनन्त की ओर
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