Thursday 29 August 2013

क्या हुआ जो ....

क्या हुआ 

जो ये दिल धड़कता है 

क्या हुआ 

जो ये साँसें चलती हैं 

जो इक तू नहीं है 

तो इस धड़कन में जान नहीं है 

जो इक तू नहीं है 

तो इन साँसों में प्राण नहीं है 

जो इक तू नहीं है 

मेरी ज़िन्दगी नहीं है 

जो इक तू नहीं है 


मेरी बंदगी नहीं है 


बस इक सूनी सी तन्हाई है 


जिसमें बस इक तेरी परछाईं है 


कहाँ से ढूंढ कर लाऊँ तुझको 


कि अभी और जीना है मुझको 

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