Sunday 17 February 2013

ज़िन्दगी के थपेड़े

ज़िन्दगी के थपेड़ों से

घबराकर

जो ज़िन्दगी से भागा

ज़िन्दगी की दौड़ में

वही रहा

सब से बड़ा अभागा

ज़िन्दगी थपेड़े यूँ लगाती है

कि हम खुशियों के

मखमली गोद में

ऐसे अपंग न बन जाएँ

कि जब रास्ते दुरूह हों

हम अपाहिज न नज़र आयें

जो उन थपेड़ों से डटकर

मुकाबिल होते हैं

उन्हें असम्भव भी

हासिल होते हैं

खुशियों की मखमली गोद में

वो कभी सोते नहीं

इसलिए ज़िन्दगी की दौड़ में

वो कभी कुछ खोते नहीं

खुशियाँ मिलने पर

न तो वो आसमान में उड़ते हैं

न ही ग़मों के दौर में

ज़मीन अपनी छोड़ते हैं

खुदा ने हर इंसान को

यह कूबत दी है

कि जिसने जैसा चाहा

उसने वैसी ज़िन्दगी जी है

अबकी जब भी थपेड़े आयें

तुम कुछ ऐसा करना

कि तुम्हें और तुम्हारी हस्ती को

वो कुछ और दृढ़ कर जाएँ




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