मैंने जिंदगी में जो भी पाया
जो भी खोया
सब कुछ तुमसे साँझा किया
फिर कैसे तुम्हारा विश्वास डोला
कैसे तुम्हारा मन यह बोला
जो कुछ हम में साँझा था
अब उसका बंटवारा कर लो
ज़िन्दगी भर का संजोया हुआ विश्वास
इतनी आसानी से कैसे लौटा सकती हो
वो जो कुछ भी साँझा था हमारे बीच
कुछ अनकहे पल कुछ अनसुनी बातें
कैसे ख़त्म कर सकती हैं उन्हें
मैंने वो सब कुछ वैसे ही
संजो कर रखा हुआ है
क्योंकि वो तुम्हारा है बस तुम्हारा
उसे कोई और नहीं बाँट सकता
मेरी इस ज़िन्दगी में
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