Friday, 9 May 2025

तू मेरी दुआओं में शामिल है - 1

 तू मेरी दुआओं में शामिल है

मेरा ख़ुदा तेरा हाफ़िज़ है
तेरी हिफाज़त मेरा जुनून है
मेरी मोहब्बत तुझ पर क़ाबिज़ है

तेरी मुस्कान अब भी मेरी सुबहों का उजाला है,
तेरी खामोशी, मेरी रूह की सबसे पुरानी साज़िश है।
मैं तुझसे दूर होकर भी तुझमें ही खोया हूँ,
जैसे इबादत में समाया कोई अधूरा वजूद।

तेरे बिना ये शहर भी वीरान लगता है,
हर चेहरा अजनबी, हर रास्ता बेमकसद।
तेरी यादें मेरी साँसों में बसी हुई हैं,
जैसे हर पल का तर्जुमा सिर्फ तुझी से हो।

तू दूर है, मगर हर चीज़ में शामिल है,
तेरे लबों की खामोशी भी अब मेरी भाषा है।
मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं,
एक मुकम्मल अकीदा किया है।

तू किसी और की अमानत हो सकती है,
मगर मेरी रूह की तहरीर में तेरा ही नाम है।
मैंने तुझे चाहा इस तरह
जैसे चाँद को देखती आँखें रोज़ा रखती हैं।

तू महफूज़ रहे, यही मेरी आरज़ू है,
तेरे दर्द तक भी कोई और न पहुँचे।
तेरी राहों में हर काँटा मैं बन जाऊँ,
तू चले तो सिर्फ़ नर्मियों पर।

तेरी खुशी मेरी तक़दीर है,
तेरा हर आँसू मेरा इम्तिहान।
तू ग़ैर बन जाए तो भी,
तेरे हिस्से की दुआ कभी अधूरी नहीं होगी।

मैंने तुझमें अपना रब देखा है,
तेरी मौजूदगी मेरी इबादत बनी है।
तेरे जाने के बाद भी
मैंने तुझसे मोहब्बत करना नहीं छोड़ा।

तू मेरी दुआओं में शामिल है
मेरा ख़ुदा तेरा हाफ़िज़ है
तेरी हिफाज़त मेरा जुनून है
मेरी मोहब्बत तुझ पर क़ाबिज़ है

अगर तू चाहे, तो आज भी
मेरी आँखें तेरा इंतज़ार कर सकती हैं।
और अगर ना भी चाहे,
तो मेरी रूह फिर भी तेरा नाम जपती रहेगी।

क्योंकि तुझसे बिछड़कर भी
मैंने तुझे खुद से अलग नहीं किया।
तेरे होने का यकीं
अब भी मेरी तन्हा रातों का सहारा है।

तू मेरी दुआओं में शामिल है…

No comments:

Post a Comment