तुम जब लौट के आए
रुक गई साँसें मेरी,
बरसों की तन्हाई में
खिल गई खुशबू तेरी।
वही मुस्कान,
वही नज़ारा पुराना,
चुरा लिया था
जिसने पहली बार ये दिल मेरा
उन्नीस का दिल,
फिर से जवान हुआ,
जैसे प्यार की पहली दुआ
खुदा ने मंज़ूर की हो
तेरे हाथों ने
फिर से छुआ मुझे,
और वो अहसास
फिर से
मेरी धड़कनों में जाग गए
तेरी हँसी में
मेरा नाम गूँज उठा,
जैसे बरसात की बूँदें
धूप से मिली हों
आँखों में बसी
वो पहली मोहब्बत,
दूर रह के भी थी
जवां मेरी आँखों में
तुम्हारा स्पर्श याद था मुझे,
पूरे बदन में कंपन फैलाती
हर कोमल अहसास में
एक नया अहसास मिलाती
फुसफुसाहटों में घुल गई थी
ख़ुशबू तेरे साँसों की,
पहले चुम्बन की वो मिठास
आज फिर याद आ गयी
चुम्बन वही था,
पर अहसास अलग था
होठों को जैसे
कोई अपना मिल गया था
ना कोई पछतावा,
ना कोई फासला रहा,
मोहब्बत का सुकून
सर आँखों चढ़ता रहा
हम दो नहीं,
एक धड़कन हैं
हर मुश्किल में
हम संग संग हैं
तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में,
जैसे सूरज की पहली किरण,
नया नहीं था
बस अनंत का सफ़र था
तुम्हें वहीँ पाया
जहाँ हम मिले थे
पहली बार
जहाँ हमारी नज़रें मिलीं थी
और प्यार हो गया था
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