Saturday, 27 April 2013

उसके होने का अहसास

कभी कभी

यूँ लगता है

कोई मेरे आसपास है

या फिर

उसके होने का अहसास है

उसके आते ही

हवाओं में

खुशबू सी तैर जाती है

और हवाएं बालों में

जैसे उँगलियाँ फेर जाती हैं

उसके पास होने का अहसास

कितना मदभरा है

जैसे हज़ारों जामों का नशा

सर पर चढ़ा है

उसकी बातों में

प्यार का सिलसिला है

जैसे अभी अभी

कहीं गुलाब खिला है

उसके आते ही

हर शय गुनगुनाने लगती है

गीत मोहब्बत के सुनाने लगती है

जाने कैसा जादू है

उसके आने में

बहार सी छा जाती है

वीराने में

लब लरज़ने लगते हैं  यूँ

जैसे कुछ कहना चाहती हों

धडकनें बेतरतीब सी हो जाती हैं

जैसे उनके दिल में रहना चाहती हों

भले ही तुम इक अहसास रहो

पर यूँ ही मेरे आसपास रहो

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