अपनी मंजिलों से बिछड़ कर
हम रास्तों में खो गए
ख्वाहिशें जितनी थीं
सब आंसूओं में धो गए
वादा था उसका
ख़्वाबों
में वो आएगी
शब ढलती रही
ख्वाब
पिघलते रहे
ना वो आई
ना नींद
आई
ख्वाब आँखों में
शोलों
की तरह
जलते रहे
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