Saturday 25 August 2012

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारी आहट

मेरे चौखट पर

उदासी फैलाती रही

शायद

तुम छोड़ गयी थी

तुम्हारी परछाईं

तुम्हारे जाने के बाद

हवा के हर झोंके पर

तुम अपने आने का

अहसास दिलाती रही

पर

तुम नहीं आई

तुम्हारे जाने के बाद

मेरी हर महफ़िल

वीरान कर गयी

तुम्हारी खामोशी

नगमें सुनाती रही

यादों में जो तुम आई

तुम्हारे जाने के बाद

भंवरे गुनगुनाना भूल गए

खुशबू फूलों से जाती रही

इक तुम जो ना मुस्कुराई

तुम्हारे जाने के बाद

मंझधार में तो डूबते ही थे

कश्ती साहील पर

डगमगाती रही

आंसुओं की बाढ़ जो आई

तुम्हारे जाने के बाद

जिंदगी जीते थे जिसके लिए

वो जिंदगी ही जाती रही

ग़मों की घटा जो छाई

तुम्हारे जाने के बाद

इक बुत सा बन गया हूँ मैं

बस इक सांस आती जाती रही

जाने कैसी ये सजा पाई

तुम्हारे जाने के बाद


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