फासले यूँ भी न बढ़ा
इन दिलों के बीच
कि लौट कर
आ ना सकें हम कभी
इन दायरों में बंध कर
अब कहाँ गुज़र पाएगी
यह ज़िन्दगी
यूँ जीने के बाद
घुट घुट कर मर जायेगी
यह ज़िन्दगी
यूँ जीने के बाद
इन दिलों के बीच
कि लौट कर
आ ना सकें हम कभी
इन दायरों में बंध कर
अब कहाँ गुज़र पाएगी
यह ज़िन्दगी
यूँ जीने के बाद
घुट घुट कर मर जायेगी
यह ज़िन्दगी
यूँ जीने के बाद
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