कभी जब मैं ना रहूँ
तुम यह समझना
मैं कभी था ही नहीं
मेरा नाम-ओ-निशाँ
मेरा वज़ूद
मिटा देना
अपनी यादों की ज़मीं से
उसकी जगह
इक नयी दरख़्त लगा लेना
कुछ नयी बातों से
अपना मन बहला लेना
अपनी ज़िन्दगी के
उन लम्हों में
जिनमें कभी मैं रहा करता था
कुछ नए रंग भर लेना
कोई नयी तस्वीर उकेर लेना
कि यूँ बेरंग लम्हें
तुम्हें परेशां ना करें
मेरी यादें
उनमें दर्द न भर दें
तुम मेरी यादों के पर क़तर देना
इस से पहले
कि वो तुम्हारे दर्द का सबब बने
मिटा देना मेरी हर निशानी
भुला देना मेरी हर कहानी
मैं कहीं भी ना रहूँ
उन लम्हों में
जिनमें तुम जियो इक नए ढंग में
यही दुआ है मेरी
मिले ज़िन्दगी तुमको इक नए रंग में
तुम यह समझना
मैं कभी था ही नहीं
मेरा नाम-ओ-निशाँ
मेरा वज़ूद
मिटा देना
अपनी यादों की ज़मीं से
उसकी जगह
इक नयी दरख़्त लगा लेना
कुछ नयी बातों से
अपना मन बहला लेना
अपनी ज़िन्दगी के
उन लम्हों में
जिनमें कभी मैं रहा करता था
कुछ नए रंग भर लेना
कोई नयी तस्वीर उकेर लेना
कि यूँ बेरंग लम्हें
तुम्हें परेशां ना करें
मेरी यादें
उनमें दर्द न भर दें
तुम मेरी यादों के पर क़तर देना
इस से पहले
कि वो तुम्हारे दर्द का सबब बने
मिटा देना मेरी हर निशानी
भुला देना मेरी हर कहानी
मैं कहीं भी ना रहूँ
उन लम्हों में
जिनमें तुम जियो इक नए ढंग में
यही दुआ है मेरी
मिले ज़िन्दगी तुमको इक नए रंग में
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (02.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें और अपने विचार रखे
, मैंने तो अपनी भाषा को प्यार किया है - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः11
सुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना ,कभी यहाँ भी पधारें।
ReplyDeleteसादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
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