मयख़ाने के मय में
वो नशा कहाँ
जो नशा
तुम्हारी आँखों में है
चमन के फूलों में
वो ख़ुश्बू कहाँ
जो ख़ुश्बू
तुम्हारी साँसों में है
किसी तरन्नुम में
वो कशिश कहाँ
जो कशिश
तुम्हारी धड़कनों में है
आफताब की रौ में
वो अगन कहाँ
जो अगन
तुम्हारी नज़रों में है
बारिश की बूंदों में
वो तपन कहाँ
जो तपन
तुम्हारी बाहों में है
किसी और ख्वाब की
ऐसी ताबीर कहाँ
जो ताबीर
तुम्हारे ख़्वाबों में है
मेरे सज़दों में
वो असर कहाँ
जो असर
तुम्हारी दुआओं में है
बस असर
उन दुआओं का
इतना हो कि
इस ज़िन्दगी के उस पार भी
बस तुम हो तुम हो तुम हो
वो नशा कहाँ
जो नशा
तुम्हारी आँखों में है
चमन के फूलों में
वो ख़ुश्बू कहाँ
जो ख़ुश्बू
तुम्हारी साँसों में है
किसी तरन्नुम में
वो कशिश कहाँ
जो कशिश
तुम्हारी धड़कनों में है
आफताब की रौ में
वो अगन कहाँ
जो अगन
तुम्हारी नज़रों में है
बारिश की बूंदों में
वो तपन कहाँ
जो तपन
तुम्हारी बाहों में है
किसी और ख्वाब की
ऐसी ताबीर कहाँ
जो ताबीर
तुम्हारे ख़्वाबों में है
मेरे सज़दों में
वो असर कहाँ
जो असर
तुम्हारी दुआओं में है
बस असर
उन दुआओं का
इतना हो कि
इस ज़िन्दगी के उस पार भी
बस तुम हो तुम हो तुम हो
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