Tuesday 8 January 2013

औरों की खातिर

कैसी है यह जिंदगी

जिसका कोई लम्हा

मेरा नहीं

इसमें

मेरे ख़्वाबों की कोई

जगह नहीं

मेरे अरमानों की कोई

सुबह नहीं

पर जिए जा रहा हूँ

यह ज़िन्दगी

औरों की खातिर

सबकी चाहत पूरी करने को

सबकी आस पूरी करने को

मुद्दे तो बहुत हैं

जीने के लिए

पर इनमें

मेरा कोई मुद्दा नहीं

क्यूँ जी रहा हूँ

इस तरह

जब कि मुझे भी मालूम है

मेरे जीने से

मेरी ज़िन्दगी का

कोई मतलब नहीं

बस जिए जा रहा हूँ

औरों की खातिर

कि सब जी सकें

अपनी खातिर















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