तुम मिले मुझे
जिंदगी के जिस मोड़ पर
जिंदगी ठहर गई
वहीँ पर
पर
वक्त चलता रहा
और
हम जीते रहे
वक्त के बहते हुए
लम्हों के साथ
अपनी ठहरी हुयी जिंदगी
हर लम्हा
इक नए रंग में
रंगा हुआ सा
नई खुशबुओं में
रचा हुआ सा
नये उमंग
नई तरंग
नई दिशाओं में
बसा हुआ सा
नये नये सपनों से
भरा हुआ सा
नई तमन्नाओं से
जगा हुआ सा
इन लम्हों को जी कर
जी करता है
वक्त के बहते धार को
वहीँ पर रोक दूं
जहां पर जिंदगी ठहरी थी
जब तुम मिले थे
मुझे
जिंदगी के जिस मोड़ पर
जिंदगी ठहर गई
वहीँ पर
पर
वक्त चलता रहा
और
हम जीते रहे
वक्त के बहते हुए
लम्हों के साथ
अपनी ठहरी हुयी जिंदगी
हर लम्हा
इक नए रंग में
रंगा हुआ सा
नई खुशबुओं में
रचा हुआ सा
नये उमंग
नई तरंग
नई दिशाओं में
बसा हुआ सा
नये नये सपनों से
भरा हुआ सा
नई तमन्नाओं से
जगा हुआ सा
इन लम्हों को जी कर
जी करता है
वक्त के बहते धार को
वहीँ पर रोक दूं
जहां पर जिंदगी ठहरी थी
जब तुम मिले थे
मुझे
टिप्पणी की कोई गुंजाइश ही नहीं है यहाँ पर!सिर्फ अहसास है और इसे रूह से महसूस किया जा सकता है बस| सचमुच प्रशांत सर! बेहतरीन भाव-श्रृंखला|
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