गज़ल भी तुम हो
शे'अर् भी तुम हो
नज़्म भी तुम हो
गीत भी तुम हो
गुल भी तुम हो
गुलशन भी तुम हो
शफ़क भी तुम हो
चाँद भी तुम हो
तारे भी तुम हो
कहकशां भी तुम हो
राह भी तुम हो
मंजिल भी तुम हो
सागर भी तुम हो
साहिल भी तुम हो
दिल भी तुम हो
जज़्बात भी तुम हो
और क्या कहूँ अब मैं
मेरी सारी कायनात तुम हो
शे'अर् भी तुम हो
नज़्म भी तुम हो
गीत भी तुम हो
गुल भी तुम हो
गुलशन भी तुम हो
शफ़क भी तुम हो
चाँद भी तुम हो
तारे भी तुम हो
कहकशां भी तुम हो
राह भी तुम हो
मंजिल भी तुम हो
सागर भी तुम हो
साहिल भी तुम हो
दिल भी तुम हो
जज़्बात भी तुम हो
और क्या कहूँ अब मैं
मेरी सारी कायनात तुम हो
waah...bahut sundar
ReplyDeleteमैं निशब्द हूँ!!!!!
Deleteप्रेम की परम पराकाष्ठा.....:)
ReplyDeleteइक एहसास जिसमे जिया जा सकता है ......... बहुत खूब ......
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