दर्द तुमने भी दिया
दर्द हमने भी दिया
दिल दोनों का दुखा
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
प्यार तुम भी कर सकते थे
प्यार हम भी कर सकते थे
पर प्यार दोनों ने नहीं किया
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
सोच अलग थी तुम्हारी
सोच अलग थी हमारी
हमने क्यूँ नहीं सोचा
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
राह अलग मंजिल अलग तुम्हारी
राह अलग मंजिल अलग हमारी
फिर साथ क्यूँ चले भला
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
ज़िन्दगी भर का गम तुम्हें मिला
ज़िन्दगी भर का गम हमें मिला
फिर क्यूँ चला ये सिलसिला
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
दर्द हमने भी दिया
दिल दोनों का दुखा
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
प्यार तुम भी कर सकते थे
प्यार हम भी कर सकते थे
पर प्यार दोनों ने नहीं किया
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
सोच अलग थी तुम्हारी
सोच अलग थी हमारी
हमने क्यूँ नहीं सोचा
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
राह अलग मंजिल अलग तुम्हारी
राह अलग मंजिल अलग हमारी
फिर साथ क्यूँ चले भला
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
ज़िन्दगी भर का गम तुम्हें मिला
ज़िन्दगी भर का गम हमें मिला
फिर क्यूँ चला ये सिलसिला
कभी सोचा ऐसा क्यूँ किया ?
सुभह सुभह मैं ब्लॉग मे शिरकत करती सभी के यहाँ भी बे-रोक टॉक आ गई, एक अच्छी रचना। किन्तु एक पंक्ति 2 बार आ गई है कृपया उसको हटा दें। और ? का प्रयोग भी कृपया रचना मे जरूर करें।
ReplyDeleteएक सुंदर रचना।