नींद आने लगी है
शायद ख़्वाबों ने जोर मारा है
कोई मिलने को आतुर है ख़्वाबों में
आज रात ख़्वाबों में उनसे मिलना है मुझको
ख़्वाबों में मिलने उनसे अब सोना है मुझको
चलो नींद की आगोश में खो जाते हैं
ख़्वाबों के वास्ते चलो हम सो जाते हैं
आइये आपको नींद के आगोश में पहुंचा दूं
मिलने का वादा किया है ये भूलिएगा नहीं
मिलना तो है हमको अब जिंदगी भर के लिए
इक रात काफी ना होगी दिल की बात के लिए
जो अब नहीं सोया तो सब गडबड हो जायेगा
बोझल पलकों से हमारे इश्क का भेद खुल जायेगा
आँखों से नींद उड़ाना उन्हें खूब आता है
दीवाना बनाकर सताना उन्हें खूब आता है
ख़्वाबों में भी यूँ ही परेशां किया आपने
जब भी मिलने का वादा लिया हमने
नींद तो तुम साथ लेकर गई थी कल रात
हम जागते रहे आँखों में तेरे ख्वाब लिए
नींदें उड़ा कर हमारी हमारा हाल पूछते हैं
कितनी मासूमियत से वो सवाल पूछते हैं
सपनों में तेरे मेरा यूँ आना जाना है
जैसे आँखों से तेरे मेरा दोस्ताना है
भावप्रधान रचना के लिए धन्यवाद...!!
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