पिया मिलन की आस लगी मोहे
कित उनको ढूँढन जाऊं सखी री
उन संग मोरा नेहा लागा
कैसे उन्हें बताऊँ सखी री
जब से गए विदेश सजनवा
कुछ नहीं है भात सखी री
पूरनमासी का चाँद खिला है
मोरे अंगना आज सखी री
कैसे नहाऊं चांदनी में
पिया बिन नहीं सोहाए सखी री
सावन का महीना आया है
मन में अगन लगाये सखी री
बारीश की बूंदन जो टपके
बदन मोरे जराए सखी री
भोर चले पुरवाई खेतन में
अंग अंग तडपाये सखी री
दिन तो काटूं पहर गिन गिन
रतियाँ कैसे बिताऊँ सखी री
बैरन निंदिया भागी अंखियन से
किस विध उसको पाऊँ सखी री
कहीं ना मोरे प्राण ले जाएँ
बिरहा की यह अगन सखी री
कहीं से मोरे पिया को ला दे
जीवन भर गुण गाऊँ सखी री
कित उनको ढूँढन जाऊं सखी री
उन संग मोरा नेहा लागा
कैसे उन्हें बताऊँ सखी री
जब से गए विदेश सजनवा
कुछ नहीं है भात सखी री
पूरनमासी का चाँद खिला है
मोरे अंगना आज सखी री
कैसे नहाऊं चांदनी में
पिया बिन नहीं सोहाए सखी री
सावन का महीना आया है
मन में अगन लगाये सखी री
बारीश की बूंदन जो टपके
बदन मोरे जराए सखी री
भोर चले पुरवाई खेतन में
अंग अंग तडपाये सखी री
दिन तो काटूं पहर गिन गिन
रतियाँ कैसे बिताऊँ सखी री
बैरन निंदिया भागी अंखियन से
किस विध उसको पाऊँ सखी री
कहीं ना मोरे प्राण ले जाएँ
बिरहा की यह अगन सखी री
कहीं से मोरे पिया को ला दे
जीवन भर गुण गाऊँ सखी री
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