Tuesday, 4 July 2017

मौन


मौन -

तुम में कितने स्वर

कितनी आहटें हैं निहित

कितने वाचाल हो तुम

बिना स्वर के ही

कह देते सब कुछ

एक ही दृष्टिपात में

या चेहरे के बदलते रंगों में

होंठो की हल्की सी थिरकन में

कभी भृकुटि की नन्हीं सी सिलवट में

तुम्हें शब्दों की क्या आवश्यकता ??